हमने अपने पिछले Hindi Grammar के आर्टिकल्स में वर्ण विचार और शब्द विचार के बारे में पढ़े थे। जो की व्याकरण के दो खण्ड हैं। आज के इस आर्टिकल में व्याकरण के तीसरे खंड वाक्य विचार (Vakya Vichar) के बारे में पढ़ेंगे।
इस आर्टिकल में वाक्य विचार के बारे में बताया गया हैं जिसमे आप वाक्य विचार क्या हैं इसका परिभाषा क्या होता हैं और इसके प्रकार आदि के बारे में पढ़ सकते हैं।
वाक्य विचार किसे कहते हैं। – Vakya Vichar Kise Khahte Hain
वाक्य विचार (Vakya Vichar) – वाक्य विचार व्याकरण का वह भाग हैं, जिसमे वाक्य की परिभाषा, वाक्य के अंग, वाक्य के भेद, वाक्य रचना आदि पर विचार किया जाता हैं, उस भाग को वाक्य विचार कहते हैं।
वाक्य किसे कहते हैं।
नियम के अनुसार सजाए गए ‘सार्थक शब्दों के समूह’ जिसका कुछ अर्थ हो, उसे वाक्य कहते हैं। इस तरह वाक्य सार्थक शब्दों का समूह है।
इस समूह से कुछ अर्थ स्पष्ट होता है। ‘वाक्य’ को बोलकर या लिखकर कहनेवाला या लिखनेवाला अपना ‘भाव’ सुनने और पढ़नेवाले पर ‘व्यक्त’ करता है।
अतः ‘वाक्य’ हम उसे कहते हैं जिससे कहनेवाले का अर्थ, सुननेवाले को साफ-साफ स्पष्ट हो जाए। जैसे – ‘वह भाषण देता है।’ इस वाक्य से कहनेवाले का अर्थ सुननेवाले की समझ में साफ-साफ आ जाता है।
वाक्य के दो अंग होते हैं :
1 . उद्देश्य – किसी ‘वाक्य’ में जिस के विषय में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहा जाता है।
जैसे – संतोष पढता है। इस वाक्य में ‘संतोष’ के विषय में कुछ कहा गया है, अतः इस वाक्य में ‘संतोष’ उद्देश्य है।
2 . विधेय – उद्देशय के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं।
जैसे – रंजन सुनता है। इस वाक्य में ‘सुनता है’ विधेय है।
उद्देश्य और विधेय का विस्तार :
1 . उद्देशय का विस्तार – ‘वाक्य’ के जिस शब्द या शब्दों से उद्देशय की विशेषता मालूम हो, उन्हें उद्देशय का विस्तार कहा जाता है।
जैसे – चतुर बालक पढता है। इस वाक्य में ‘चतुर’ शब्द उद्वेश्य का विस्तार है।
2 . विधेय का विस्तार – ‘कारक’ के और क्रिया-विशेषणों के प्रयोग से विधेय का विस्तार होता है। विधेय के पूरक शब्दों को ‘विधेय का विस्तार’ कहते हैं।
जैसे – वह पैर से चलता है। इस वाक्य में ‘पैर से’ विधेय का विस्तार है।
वह धीरे-धीरे चलता है। इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ विधेय का विस्तार है।
वाक्यांश
वाक्यांश, वाक्य का वह पूर्ण अंश है, इसका संबंध मूल्य की ‘प्रधान क्रिया’ से नहीं होता है।
जैसे – स्टेशन पहुंचने के बाद मैंने टिकट कटाया। इस वाक्य में ‘स्टेशन पहुंचने के बाद’ वाक्यांश है। वाक्यांश का अधिकतर प्रयोग मिश्र और संयुक्त वाक्य में होता है।
वाक्य-खंड
‘वाक्य-खंड’ वाक्य उस खंड को कहते हैं, जिसमें ‘क्रिया’ तो होती है, पर उसका ‘आंशिक अर्थ’ भी स्पष्ट नहीं होता है।
‘वाक्य-खंड’ का अर्थ वाक्य ‘अन्य’ भाग पर निर्भर करता है। जैसे, ‘ज्यों ही उसने देखा, त्यों ही भाग गया।’ इस वाक्य में ‘ज्यों ही उसने देखा’ वाक्य-खंड है।
उपवाक्य
‘उपवाक्य’ वाक्य के उस खंड को कहा जाता है, जिसमें ‘क्रिया’ तो होती है, पर उसका ‘आंशिक अर्थ’ ही स्पष्ट हो पाता है।
जैसे – ‘यदि वह आता, तो मैं जाता।’ इस वाक्य ‘यदि वह आता’ उपवाक्य है।
वाक्य के कितने प्रकार होते हैं। – Vakya Ke Kitne Parkar Hote Hain
हिंदी व्याकरण में वाक्य के दो प्रकार होते हैं –
पहला 1. रचना की दृस्टि से और दूसरा 2. अर्थ की दृस्टि से।
रचना की दृस्टि से वाक्य के प्रकार :-
रचना की दृस्टि से वाक्य के तीन भेद हैं –
(क.) सरल वाक्य – जिस ‘वाक्य’ में एक ही क्रिया होती है, उसे वाक्य को सरल वाक्य कहा जाता हैं।
जैसे – राम आता हैं। इस वाक्य में ‘आता है’ एक ही क्रिया है।
(ख.) मिश्र वाक्य – जिस ‘वाक्य’ में एक ‘सरल वाक्य’ के अलावे उसका कोई ‘अंग वाक्य’ भी हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।
जैसे – वह कौन-सा आदमी हैं, जिसमे स्वामी विवेकानंद का नाम नहीं सुना हैं।
(ग.) संयुक्त वाक्य – जिस ‘वाक्य’ में ‘सरल वाक्य’ एवं ‘मिश्र वाक्य’ का मेल संयोजक अव्ययों द्वारा होता है, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।
जैसे – मैं खाकर सोया की पेट में दर्द आरम्भ हो गया और दर्द इतना बढ़ा की मैं बेहोश हो गया।
अर्थ की दृस्टि से वाक्य के प्रकार :-
अर्थ की दृस्टि से वाक्य के आठ भेद हैं –
(क.) विधिवाचक वाक्य – जिस ‘वाक्य’ से किसी बात के ‘होने’ का बोध हो, उसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे – श्याम गया। मैंने खाया।
(ख.) निषेधवाचक वाक्य – जिस ‘वाक्य’ से किसी बात के ‘न होने’ का बोध हो, उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे – वह नहीं गया। मैंने नहीं खाया।
(ग.) आज्ञावाचक वाक्य – जिससे ‘आज्ञा’ या ‘हुक्म’ देने का बोध हो, उसे आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे – तुम घर जाओ। तुम खाना खाओ।
(घ.) प्रश्नवाचक वाक्य – जिस वाक्य से किसी प्रकार के ‘प्रश्न’ पूछे जाने का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।
जैसे – कहाँ करते हो ? कहाँ जाते हो ?
(ड़) विस्मयबोधक वाक्य – जिस वाक्य से आश्चर्य, दुःख, शोक, हर्ष आदि का बोध हो, उसे विस्मयबोधक वाक्य कहते हैं।
जैसे – आह! मैं पिट गया। आह! मार डाला।
(च.) संदेहबोधक वाक्य – जिस ‘वाक्य’ से ‘संदेह’ या ‘शंका’ जाहिर हो, उसे संदेहबोधक वाक्य कहते हैं।
जैसे – वह पटना गया होगा। रमेश स्कूल गया होगा।
(छ.) इच्छाबोधक वाक्य – जिस वाक्य से ‘इच्छा’ या ‘शुभकामना’ का बोध हो, उसे इच्छाबोधक वाक्य कहते हैं।
जैसे – भगवान तुम्हारा भला करे। आपकी यात्रा मंगलमय हो आदि।
(ज.) संकेतबोधक वाक्य – जहाँ ‘एक वाक्य, दूसरे वाक्य की ‘संभावना’ पर निर्भर हो, उसे संकेतबोधक वाक्य कहते हैं।
जैसे – तुम आते, तो मैं अवश्य जाता। वह आता, तो मैं अवश्य जाता आदि।
वाक्य क्रम
वाक्य-विन्यास या क्रम के निम्नांकित नियम है :
1 . हिंदी वाक्यों में सर्वप्रथम कर्ता, मध्य में कर्म और अंत में क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।
2 . कर्ता और कर्म के बीच क्रमश: ‘अधिकरण, अपादान, संप्रदान और करण कारक का प्रयोग करना चाहिए।
3 . ‘संबोधन’ शब्द हिंदी वाक्य प्रारंभ में आता है।
4 . ‘विशेषण’ का प्रयोग ‘संज्ञा’ के पहले करना चाहिए।
5 . क्रिया-विशेषण का प्रयोग ‘क्रिया’ के पहले करना चाहिए।
6 . प्रश्नवाचक पद उस संज्ञा के पहले रखना चाहिए जिसके विषय में कुछ पूछा जाता है।
7 . वाक्य के अंत में विराम चिन्ह का प्रयोग करना चाहिए।
8 . आज्ञाबोधक वाक्य में प्रायः कर्ता का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
Final Thoughts –
आप यह हिंदी व्याकरण के भागों को भी पढ़े –
- व्याकरण | भाषा | वर्ण | स्वर वर्ण | व्यंजन वर्ण | शब्द | वाक्य | संधि | स्वर संधि | व्यंजन संधि | विसर्ग संधि | लिंग | वचन | कारक
- संज्ञा | सर्वनाम | विशेषण | क्रिया | काल | वाच्य | अव्यय | उपसर्ग | प्रत्यय | समास | विराम चिन्ह | रस-छंद-अलंकार